आई बरखा बहार
रिमझिम पड़े ला फुहार
जियरा उमडि–उमडि तरसाए
घर आ जा बलमू !!
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रिमझिम पड़े ला फुहार
जियरा उमडि–उमडि तरसाए
घर आ जा बलमू !!
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नीम के डारी झूला पड़ गए
तन मन सब गदराया
धानी चुनरिया – पेंग लड़ाकर
उडि मन- ज्वालामुखी बनाया
तन मन सब गदराया
धानी चुनरिया – पेंग लड़ाकर
उडि मन- ज्वालामुखी बनाया
हरियाली -संग फूल खिले- पर
पीला पड़ता गात हमारा
मूक नैन हों इत- उत भटकें
रिमझिम सावन मन ना भाता
जल्दी बरसे घहर-गरज कर
जियरा जरा जुडा जा
घर आ जा बलमू …..
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सखी सहेली राधा-कृष्णा
रास -रंग सब मन भरमाये !
पावस ऋतू नित बरस -बरस के
अग्नि काम भड़काए !
भीग-भीग इत उत घूमूं मै
नैन नीर हिय जेठ दुपहरी
बेबस पपीहा पीऊ -पुकारे !
सेजिया नींद न आये !
घर आ जा बलमू ————–
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नागपंचमी पे आ जाना
गुडिया -गुड्डा –मेला- सर -का
जी भर लुत्फ़ उठाना
कजरी -मल्हार-वो मटर का दाना
मार-मार -वो सजा सजाया लाठी डंडा
कुश्ती- दंगल -हंसी ठिठोली
रंग रंगोली -झूले पर हे पेंग लगाये
पेंच लड़ाए -ज्यों पतंग सा
बदली तक मुझको पहुँचाना
इतने ऊपर !
इन्द्रधनुष से रंग बदल मै
शीतल हो जब बरस पडूँ
बूँद बूँद मोती बन जाये
हीरे सी मै चमक पडूँ
लिए बांसुरी- मीत – मल्हार
कजरी –गा- मै -कमल खिलूँ
तुम भौंरे हे ! बंद कली में
रात यहीं सो जाना
घर आ जा बलमू ……
( सभी फोटो साभार गूगल/नेट से लिया गया )
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल “भ्रमर ”
4.08.2011, ५.३५ पूर्वाह्न जल पी बी
4.08.2011, ५.३५ पूर्वाह्न जल पी बी
Dadi Maa sapne naa mujhko sach ki tu taveej bandha de..hansti rah tu Dadi Amma aanchal sir par mere daale ..join hands to improve quality n gd work
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