सच एक हंस है
पानी दूध को अलग किये ये
मोती खाता -मान-सरोवर डटा हुआ है
धवल चाँद है
अंधियारे को दूर भगाता
घोर अमावस -अंधियारे में
महिमा अपनी रहे बताता
ये तो भाई पूर्ण पड़ा है !
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सच-सूरज है अडिग टिका है
लाख कुहासा या अँधियारा
चीर फाड़ हर बाधाओं को
रोशन करने जग आ जाता
प्राण फूंक हर जड़-जंगम में
नव सृष्टि ये रचता जाता
सुबह सवेरे पूजा जाता !!
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सच- आत्मा है - परमात्मा है
कभी मिटे ना लाख मिटाए
चाहे आंधी तूफाँ आये
चले सुनामी सभी बहाए
दर्द कहीं है लाश बिछी है
भूखा कोई रोता जाये
कहीं लूट है - घर भरते कुछ
सच - दर्पण है सभी दिखाए !!
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सच तो शिव है -शिव ही करता
नाग सरीखा संग-संग रहता
जिसके पास ये आभूषण हैं
ब्रह्म -अस्त्र ये- ताकत उसमे
पापी उसके पास न आयें
राहू-केतु से झूठे राक्षस
झूठें ही बस दौड़ डराएँ
खाने धाये !!
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सच इक आग है - शोला है ये
धधक रहा है चमक रहा है
उद्भव -पूजा हवन यज्ञं में
आहुति को ये गले लगाये
प्राणों को महकाता जाए
श्री गणेश -पावन कर जाये
भीषण ज्वाला - कभी नहीं जो बुझने वाला
लंका को ये जला जला कर
झूठी सत्ता- झूठ- जलाकर
अहम् का पुतला दहन किये है
सब कुछ भस्म राख कर देता
गंगा को सब किये समर्पित
मूड़ मुड़ाये सन्यासी सा
बिना सहारा-डटा खड़ा है !!
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सच ये कोई नदी नहीं है
जब चाहो तुम बाँध बना लो
ये अथाह है- सागर- है ये
गोता ला बस मोती ढूंढो
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सच ये भाई ना घर तेरा
जाति नहीं- ना धर्म है तेरा
जब चाहो भाई से लड़ -लड़
ऊँची तुम दीवार बना लो
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सच पंछी है मुक्त फिरे है
आसमान में -वन में -सर में
एकाकी -निर्जन-जीवन में
सच की महिमा के गुण गाये
कलरव करते विचरे जाए !!
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सच कोमल है फूल सरीखा
रंग बिरंगा हमें लुभाए
चुभते कांटे दर्द सहे पर
हँसता और हंसाता जाये
जीवन को महकाता जाये
अमर बनाये !!
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सच कठोर है -ये मूरति है
सच्चाई का दामन थामे
पूजे मन से जो -सुख जाने
यही शिला है यही हथौड़ा
मार-मार मूरति गढ़ता है
सुन्दर सच को आँक आँक कर
सच्चाई सब हमें दिखाता
आँखें फिर भी देख न पायें
या बदहवास जो सब झूंठलायें
ये पहाड़ फिर गिर कर भाई
चूर चूर सब कुछ कर जाए !!
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर
७.७.२०११ ६.२६ पूर्वाह्न जल पी बी
Dadi Maa sapne naa mujhko sach ki tu taveej bandha de..hansti rah tu Dadi Amma aanchal sir par mere daale ..join hands to improve quality n gd work
6 comments:
bahut hi achhi rachna
सुन्दर रचना ...
आदरणीया रश्मि जी सच तो शिव है शिव ही करता ..ने आप के मन में स्थान पाया सुन हर्ष हुआ -प्रोत्साहन के लिए आभार -आइये सच को गले से लगे रहें
शुक्ल भ्रमर ५
दिगंबर नासवा जी धन्यवाद आप का सच की महिमा को आप ने समर्थन दिया रचना सुन्दर लगी सुन हर्ष हुआ
भ्रमर ५
जीवन की सच्चाइयों से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।
डॉ (मिस) शरद सिंह जी हार्दिक अभिवादन सच ही शिव है शिव ही करता रचना में जीवन की सच्चियां दृष्टिगोचर हुयीं सुन हर्ष हुआ आभार
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