RAS RANG BHRAMR KA WELCOMES YOU

Tuesday, April 10, 2012

होंठ रसीले


होंठ रसीले लरज रहे हैं 
शायद रस-मधु घोले

चाँद सा मुखड़ा सूर्यमयी   है 
घूँघट कब ये खोले ?
नैन जादुई झील  से गहरे 
जीव जगत सब तरते 
ढाई आखर प्रेम ग्रन्थ में 
गहराई सब डूबे 
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Bhramar5
.१२-.२२ पूर्वाह्न 
..२०१२ कुल्लू यच पी 



Dadi Maa sapne naa mujhko sach ki tu taveej bandha de..hansti rah tu Dadi Amma aanchal sir par mere daale ..join hands to improve quality n gd work

10 comments:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बेहतरीन भाव पुर्ण बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,लाजबाब प्रस्तुति,....

RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...

Sunil Kumar said...

बहुत ही सुंदर भावाव्यक्ति बधाई

मनोज कुमार said...

मन को हर्षित करती रचना।

सुशील कुमार जोशी said...

सुंदर!!

रचना दीक्षित said...

बहुत सुंदर...

Rajesh Kumari said...

सौंदर्य के साथ इन्साफ करती रचना ...बहुत सुन्दर

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.in/2012/04/847.html
चर्चा - 847:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीय दिलबाग विर्क जी सुन्दर मनभावन चर्चा ..सुन्दर लिंक्स , हर तरह के रंगों को संजोती हुयी -बधाई - मेरी भी एक रचना होंठ रसीले -रस रंग भ्रमर का से आप ने चुना सुन मन खुश हुआ
जय श्री राधे
भ्रमर ५

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर रचना....

MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

Anju (Anu) Chaudhary said...

वाह