तेरे दिल में
उतरे साजन
उस मेले मै
झूले बैठी
जान हमारी
जब सूखी थी
तेरे नैनो को
नैनो से मेरे
जब मै मिलते देखी
होश गंवाए सब
बैठे चिल्लाते
जब थे
तेरे दिल में
उतरे साजन
सारा डर-भय
अपने को भी
मै -
भूल गई थी
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
१६.०४.2011
kal fir aayenge aur koi kachchi kaliyan chunne vaale..ham sa behtar kahne vaale tum sa behtar sunne vale-Bhrmar ..join hands to improve quality n gd work
4 comments:
बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके., हो सके तो फालोवर बनकर हमारा हौसला भी बढ़ाएं.
मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.
हरीश जी नमस्कार और धन्यवाद आप को भायी ये रचना सुन मन खुश हुआ धार्मिक विवादों पर अंकुश लगे तो बहुत ही सुन्दर हो सब अपने धर्म को मानें कोई बात नहीं पर दूसरे पर अनायास कुठाराघात न करे देश को आगे ले चंलना है तो सब का साथ चाहिए हम अवश्य इस पोस्ट को देखेंगे फिर ...
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
बहुत सुन्दर एहसास ...
अपने हर ब्लॉग से वर्ड वेरिफिकेशन हटाएँ ...टिप्पणीकर्ता को सुविधा होती है
सम्माननीया संगीता जी धन्यवाद आप का प्यारी प्रतिक्रिया के लिए
हमने अब वर्ड वेरिफिकेशन हटा लिया है
शुक्ल भ्रमर५
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