वचपन का प्रेम
------------------
और उस दिन जब तुम
अपने "उनके" साथ
अपनी माँ से मिलने आई थी
दरवाजे की देहरी पर
दीवार से चिपकी -चुपचाप
मेरी ओर ताक रही थी
मै किताबों में खोया -व्यस्त -मस्त
अचानक उस तुम्हारे दरवाजे पर
नजर का जाना -और फिर
बिजली कौंध जाना
जोरदार रौशनी
ढेर सारी यादें
तेरा लजाना -लाल चेहरा ले
घर में भाग जाना
बचपन की यादें
बार-बार बिजली सी
मेरे घर के आस पास
तेरा चमकना
छुपा छिपी -आइस पाइस
सरसों के पीले फूल -हरी मटर
आम -महुआ कोयल सी कूक
मेरा ध्यान बंटाना
भुंजईन के घर से
भाड़ में भूंजा
आंचल से गर्म दाने
मेरी हथेली पे दे
मुझको जलाना
तेरा चिढाना
तेरा मुस्कुराना
पीपल की छाँव
कितना प्यारा तब ये
लगता था गाँव
दूर -दूर तेरा मंडराना
पास न आना
नजदीकियां बढ़ता था
खलिहान में साथ कभी
बैल बन घूमना
तेरा घुँघरू वाला एक पायल
खो जाना -माँ की डांट खाना
मेरे दिल को तडपाया था
हाथ खाली थे मेरे
मन मसोस कर रह जाना
चुपके से नम आँखें ले
मेरा -सब कुछ सह जाना
आज मेरे पास सब कुछ है
पर वो उधार -तेरा प्यार
दोस्ती -कर्ज चुकाना
अच्छा नहीं लगता है
परदेश से आते
अम्बिया के बाग़ में -उस दिन
तेरी डोली मिली -
सजी सजाई गुडिया
नैनों में छलके मोतियों से आंसू
परदे से झाँक
जैसे था तुझे मेरा इन्तजार
इतना बड़ा दिल ले
तुमने अपने कांपते अधरों पे
ऊँगली रख इशारा किया था
“डोली “ ओझल हो गयी थी
और मै तेरा “प्रेम” भरा आदेश
दिल में बसाए
मौन हूँ -चुप ही तो हूँ
आज तक ----
लेकिन दीवार से चिपकी
आज तेरा झांकना
प्रेम मिटता नहीं
अमर है प्रेम
वचपन का प्रेम
इस दिल में
और मजबूत हो धंस गया
फिर एक अमिट छाप छोड़
जाने क्या -क्या कह गया
दो परिवारों का वो प्रेम
बचा गया -उसे जीवन दे गया
और तुझे देवी बना
पूजने को
मेरे दिल में
पलकों में
मूरति सी सदा सदा के लिए
मौन रख
मेरे मुंह पर
ताला लगा गया !!
-------------------------
भ्रमर ५
७.४०-८.०६ पूर्वाह्न
यच पी २८.११.२०११
Dadi Maa sapne naa mujhko sach ki tu taveej bandha de..hansti rah tu Dadi Amma aanchal sir par mere daale ..join hands to improve quality n gd work
10 comments:
भ्रमर जी,..बचपन के दिनभी क्या दिन थे,उस पर बचपन का प्रेम मरते दम तक यादों में बसा रहता है......
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,खुबशुरत भावनाओं की सुंदर रचना...
welcome to new post--जिन्दगीं--
सुन्दर प्रस्तुति......
इंडिया दर्पण की ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति,बढ़िया अभिव्यक्ति रचना अच्छी लगी.....
new post--काव्यान्जलि : हमदर्द.....
sir.....shabd nahi mil rahe us feeling ko jtane ke jo is kavita ko padhte samay man mastishk me ubhare.....
आदरणीय धीरेन्द्र जी अभिवादन और गणतंत्र दिवस , वसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएं ..
आभार आप का ..वचपन के प्रेम ने आप के मन को छुवा सच में होता ही ऐसा है ये ....
....
भ्रमर का दर्द और दर्पण में भी आइये - अपना स्नेह बनाये रखें और समर्थन भी हो सके तो दें /
भ्रमर ५
आदरणीय इण्डिया दर्पण जी अभिवादन और गणतंत्र दिवस , वसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएं ..
भ्रमर का दर्द और दर्पण आप का स्वागत करता है ...रचना आप को अच्छी लगी सुन हर्ष हुआ
....
भ्रमर का दर्द और दर्पण में भी आइये - अपना स्नेह बनाये रखें और समर्थन भी हो सके तो दें /
भ्रमर ५
प्रिय डिम्पल जी अभिवादन और गणतंत्र दिवस , वसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएं ..
भ्रमर का दर्द और दर्पण भी आप का स्वागत करता है ...रचना आप को अच्छी लगी सुन हर्ष हुआ वचपन का प्रेम होता ही ऐसा है ..दिमाग में बस जाता है आप ने इसका अहसास किया सुन्दर लगा
....
भ्रमर का दर्द और दर्पण में भी आइये - अपना स्नेह बनाये रखें और समर्थन भी हो सके तो दें /
भ्रमर ५
बूढ़े बाबा भी रंगे आज हैं होरी में
उछल उछल कर तान के सीना
मस्त बड़े बरजोरी में
गोरी से हंस हंस बतियाते
नजरें कहीं हैं और
हाथ छुपाये भंग का गोला
चाह रहे हैं और ..
होरी आई रे कन्हाई ...राधे राधे सम्हाल के ..
भ्रमर 5
भ्रमर का दर्द और दर्पण
बचपन के दिन ना भुला पाये आप और आपकी सखी भी । सुंदर भावभरी प्रस्तुति ।
आशा जी आभार हाँ बचपन के दिन भी क्या दिन थे भूलते कहाँ हैं ...
राम नवमी की हार्दिक शुभ कामनाएं इस जहां की सारी खुशियाँ आप को मिलें आप सौभाग्यशाली हों गुल और गुलशन खिला रहे मन मिला रहे प्यार बना रहे दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति होती रहे ...
सब मंगलमय हो --भ्रमर५
Post a Comment