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Wednesday, April 20, 2011

धड़कन मेरी तेज हुयी थी




चेहरा मेरा सुर्ख  हुआ था  
पलकें बंद हुयी थी पल में
मुह से सिहरन -
सिसकी -अद्भुत
हलकी सी एक
निकल गयी थी !
धड़कन मेरी तेज हुयी थी
सांसे भी कुछ
वक्ष फूलकर -पिचक रहा था
वो सावन की
झड़ी सुहानी
शीतलता -कमजोर-हुयी थी
 -बदन आग-
सा तप्त हुआ था
आतुर मन था
खींच रहा भूमिका बनाये
मै बारिश में -उमड़ी 
नदिया  जैसे 
सागर में यूं खो जाने को 
दौड़ पड़ी थी !!!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रम्र५ 
१८.०४.२०११  




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Monday, April 18, 2011

मतवारी मै बदरा जैसी



मतवारी मै
बदरा जैसी

कितने तीर
सहे नैनो के
छलनी हुआ
हमारा  दिल है
हहर -हहर अब
बरस रहा है
मतवारी मै
बदरा जैसी
बिजली जैसी
कड़क-कडक कर
यहाँ वहां कुल 
घूम रही हूँ 
इस सावन में
भी मै प्यासी 
इत उत चितए  
रम्भा जैसे
मतवाली कुछ
ढूंढ रही हूँ
दीख रहा पर
जल ही जल है

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
16.4.2011


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Friday, April 15, 2011

तेरे दिल में उतरे साजन



तेरे दिल में
उतरे साजन

उस मेले मै
झूले बैठी
जान हमारी
जब सूखी थी
तेरे नैनो को
नैनो से मेरे
जब मै मिलते देखी
होश गंवाए सब 
बैठे चिल्लाते 
जब थे
तेरे दिल में
उतरे साजन
सारा डर-भय  
अपने को भी
मै -
भूल गई थी

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
१६.०४.2011




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नैनो का वो देख निमंत्रण


नैनो का वो
देख निमंत्रण

'बस' में - जब मै
खड़ी हुई थी
पास तुम्हारे
नैनो का वो
देख निमंत्रण
ज्वाला मेरे
मन में -तन में
भड़क गई थी


सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
१६.०४.2011



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चुनरी मेरी




 चुनरी मेरी

उस पहाड़ पर
खड़ी हुयी मै
चुनरी मेरी
उड़ी चली थी
मुख पर तेरे
ठहर गयी थी
दुल्हन से
शर्माते नैना
देखे-तेरे
लाल हुयी मै
छुई -मुई सी
सिहर गई थी
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
१६.०४.2011




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बेल के जैसे लिपट गई मै



बेल के जैसे
लिपट गई मै


मेरे लव के 
अफसाने को 
बीच सभा में 
गाये कुछ 
होंठो से चूमा 
था-उसने तो
होश कहाँ
फिर रहा हमारे
बेल के जैसे
लिपट गई मै
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
१६.०४.2011


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