वचपन का प्रेम
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और उस दिन जब तुम
अपने "उनके" साथ
अपनी माँ से मिलने आई थी
दरवाजे की देहरी पर
दीवार से चिपकी -चुपचाप
मेरी ओर ताक रही थी
मै किताबों में खोया -व्यस्त -मस्त
अचानक उस तुम्हारे दरवाजे पर
नजर का जाना -और फिर
बिजली कौंध जाना
जोरदार रौशनी
ढेर सारी यादें
तेरा लजाना -लाल चेहरा ले
घर में भाग जाना
बचपन की यादें
बार-बार बिजली सी
मेरे घर के आस पास
तेरा चमकना
छुपा छिपी -आइस पाइस
सरसों के पीले फूल -हरी मटर
आम -महुआ कोयल सी कूक
मेरा ध्यान बंटाना
भुंजईन के घर से
भाद में भूंजा
आंचल से गर्म दाने
मेरी हथेली पे दे
मुझको जलाना
तेरा चिढाना
तेरा मुस्कुराना
पीपल की छाँव
कितना प्यारा तब ये
लगता था गाँव
दूर -दूर तेरा मंडराना
पास न आना
नजदीकियां बढ़ता था
खलिहान में साथ कभी
बैल बन घूमना
तेरा घुँघरू वाला एक पायल
खो जाना -माँ की डांट खाना
मेरे दिल को तडपाया था
हाथ खाली थे मेरे
मन मसोस कर रह जाना
चुपके से नम आँखें ले
मेरा -सब कुछ सह जाना
आज मेरे पास सब कुछ है
पर वो उधार -तेरा प्यार
दोस्ती -कर्ज चुकाना
अच्छा नहीं लगता है
परदेश से आते
अम्बिया के बाग़ में -उस दिन
तेरी डोली मिली -
सजी सजाई गुडिया
नैनों में छलके मोतियों से आंसू
परदे से झाँक
जैसे था तुझे मेरा इन्तजार
इतना बड़ा दिल ले
तुमने अपने कांपते अधरों पे
ऊँगली रख इशारा किया था
“डोली “ ओझल हो गयी थी
और मै तेरा “प्रेम” भरा आदेश
दिल में बसाए
मौन हूँ -चुप ही तो हूँ
आज तक ----
लेकिन दीवार से चिपकी
आज तेरा झांकना
प्रेम मिटता नहीं
अमर है प्रेम
वचपन का प्रेम
इस दिल में
और मजबूत हो धंस गया
फिर एक अमिट छाप छोड़
जाने क्या -क्या कह गया
दो परिवारों का वो प्रेम
बचा गया -उसे जीवन दे गया
और तुझे देवी बना
पूजने को
मेरे दिल में
पलकों में
मूरति सी सदा सदा के लिए
मौन रख
मेरे मुंह पर
ताला लगा गया !!
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भ्रमर ५
७.४०-८.०६ पूर्वाह्न
यच पी २८.११.२०११
Dadi Maa sapne naa mujhko sach ki tu taveej bandha de..hansti rah tu Dadi Amma aanchal sir par mere daale ..join hands to improve quality n gd work
12 comments:
prem nahin mitta
वाह ...बहुत बढि़या।
आदरणीया रश्मि जी रचना ने आप के मन को छुवा लिखना सार्थक रहा सच कहा आप ने प्रेम नहीं मिटता यादें तो रह ही जाती हैं
भ्रमर ५
सदा जी जय श्री राधे ...रचना आप को भायी सुन हर्ष हुआ अपना स्नेह बनाये रखें और सुझाव भी
भ्रमर ५
भ्रमर जी,..बचपन का प्रेम और दोस्ती आजीवन याद रहती है..
इसका ताजा उदाहरण अभी मै पिछले संडे को अपने दोस्त की
बच्ची की शादी के सिलसिले में रायपुर गया था,वहाँ मेरी मुलाकात एक पुराने बचपन के दोस्त से हो गई हम लोग ४४ वर्ष बाद मिले थे,दो दिन उसके साथ गुजारे खूब बचपन की यादो को ताजा किया...सुंदर रचना ....
मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
जहर इन्हीं का बोया है, प्रेम-भाव परिपाटी में
घोल दिया बारूद इन्होने, हँसते गाते माटी में,
मस्ती में बौराये नेता, चमचे लगे दलाली में
रख छूरी जनता के,अफसर मस्त है लाली में,
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
बचपन का प्रेम और दोस्ती हमेशा याद रहती है,..बढ़िया पोस्ट ..
मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
जहर इन्हीं का बोया है, प्रेम-भाव परिपाटी में
घोल दिया बारूद इन्होने, हँसते गाते माटी में,
मस्ती में बौराये नेता, चमचे लगे दलाली में
रख छूरी जनता के,अफसर मस्ती के लाली में,
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बचपन का पेम और दोस्ती आजीवन याद रहती हं,...भ्रमर जी
जो मरते दम तक याद रहती है,...सुंदर पोस्ट ....
मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
नेता,चोर,और तनखैया, सियासती भगवांन हो गए
अमरशहीद मातृभूमि के, गुमनामी में आज खो गए,
भूल हुई शासन दे डाला, सरे आम दु:शाशन को
हर चौराहा चीर हरन है, व्याकुल जनता राशन को,
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आदरणीय भ्रमर जी नमस्ते |बहुत ही अच्छी कविता |
प्रेम पाने में ही नही खोने में भी है ,त्याग में भी है । सुंदर भावभीनी कविता ।
प्रिय अशोक जी बहुत से प्रश्न ये बताते हैं की ये भी राजनीति से चपेटे हुए हैं ..लेकिन दिया भी कितनो को जा सकता है ...कोई न कोई उंगली भी उठता रहेगा न ? एक अनार सौ बीमार वाली बात ....
सार्थक और विचार को प्रेरित करता लेख
भ्रमर ५
प्रिय जय कृष्ण जी अभिवादन रचना आप के मन को छू सकी सुन ख़ुशी हुयी अपना स्नेह बनाए रखें
भ्रमर ५
आदरणीया आशा जी सुन्दर उदगार आप के प्रेम त्याग में भी है खोने में भी पाने में तो है ही ...रचना आप के मन को भाई ख़ुशी हुयी
भ्रमर ५
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