मतवारी मै
बदरा जैसी
कितने तीर
सहे नैनो के
छलनी हुआ
हमारा दिल है
हहर -हहर अब
बरस रहा है
मतवारी मै
बदरा जैसी
बिजली जैसी
कड़क-कडक कर
यहाँ वहां कुल
घूम रही हूँ
इस सावन में
भी मै प्यासी
इत उत चितए
रम्भा जैसे
मतवाली कुछ
ढूंढ रही हूँ
दीख रहा पर
जल ही जल है
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
16.4.2011
kal fir aayenge aur koi kachchi kaliyan chunne vaale..ham sa behtar kahne vaale tum sa behtar sunne vale-Bhrmar ..join hands to improve quality n gd work
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